स्त्रीगंध

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एक पुरुष जब अपनी पसंद की स्त्री को देखता है तो क्या उसकी गंध उसको खींचती, लुभाती और आत्मविभोर करती है और क्या यह सिर्फ सेक्स होता हे या इससे आगे कुछ ओर भी है?

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Meet The Author

"Writing sets me free. Overwhelmed by the joy of creation, I find myself in an entirely new world. The dark shadows have been left behind."

एक पुरुष जब अपनी पसंद की स्त्री को देखता है तो क्या उसकी गंध उसको खींचती, लुभाती और आत्मविभोर करती है और क्या यह सिर्फ सेक्स होता हे या इससे आगे कुछ ओर भी है?

यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब इस उपन्यास का नायक शिवम सिद्ध खोज रहा है। इस खोज में अपना उत्खनन करता है तो पाता हे कि कुछ स्त्रियों ने उसके भीतर घर बना लिये हैं और उनकी एक बस्ती उसमें बस चुकी है। वे उसकी जिंदगी में आयी और अपनी गंध के साथ उस बस्ती में रच-बस गयी हें।

जवाब में उन स्त्रियों के हवाले से वह आदिम अवस्था में आता-जाता हे और अंततः पाता है कि एक समुद्र उसके सामने है ओर उसे तैरना नहीं आता। उसे बोध होता है कि उसकी जिंदगी में आयी हर स्त्री ने उसको न सिर्फ उपकृत किया बल्कि मुक्त भी किया था।

इस बोध के बाद वह उन सभी स्त्रियों को क्षमा कर देता है जिनको लेकर वह हेरान-परेशान रहा था।

यह उसकी जिंदगी का क्षमापर्व था। ….

1 review for स्त्रीगंध

  1. Anonymous

    जीवन के अनुभवों का एक लिखित सार.

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